नवार्ण मंत्र साधना द्वारा नवग्रह शांति
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ज्योतिष का मुख्य आधार नवग्रह के ऊपर निर्भर करता है ये नवग्रह हमारे भीतर नव अलग अलग विचारो का निर्माण करते है जिसके अनुसार जीवन संचालित होता है इन नवग्रहों को पूर्ण रूप से नितंत्रित करने की शक्ति नवार्ण मंत्र में समाहित है।नवार्ण मंत्र के नित्य जाप पूजन से देवी के आशीर्वाद से नवग्रह जातक पर अपना सकारात्मक प्रभाव बनाये रखते है।नवार्ण मंत्र के किस अक्षर से कौन से ग्रह का नियंत्रण होता है इसका विवरण नीचे आपको दिया जा रहा है।
ऐं - शैलपुत्री-सूर्य ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति
ह्रीं - ब्रह्मचारिणी-चन्द्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति क्लीं -चंद्रघंटा-मंगल ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति
चा - कुष्मांडा-बुध ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति
मुं - स्कंदमाता-बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति
डा-कात्यायनी-शुक्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति
यै-कालरात्रि -शनि ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति
वि -महागौरी-राहु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति
चै -सिद्धीदात्री-केतु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है l
मां दुर्गा के नवरुपों की उपासना के मंत्र
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1. शैलपुत्री
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
2. ब्रह्मचारिणी
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
3. चन्द्रघण्टा
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता ।
प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता ॥
4. कूष्माण्डा
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च ।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
5. स्कन्दमाता
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ॥
6. कात्यायनी
चन्द्रहासोज्वलकरा शार्दूलवरवाहना ।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥
7. कालरात्रि एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता ।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा ।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी ॥
8. महागौरी
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः ।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ॥
9. सिद्धिदात्री
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ॥
नवार्ण मंत्र साधना विधी:-
विनियोग:
ll ॐ अस्य श्रीनवार्णमंत्रस्य
ब्रम्हाविष्णुरुद्राऋषय:गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छंन्दांसी,श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासर
स्वत्यो देवता: , ऐं बीजम , ह्रीं शक्ति: ,क्लीं कीलकम श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवता प्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ll
विलोम बीज न्यास:-
ॐ च्चै नम: गूदे ।
ॐ विं नम: मुखे ।
ॐ यै नम: वाम नासा पूटे ।
ॐ डां नम: दक्ष नासा पुटे ।
ॐ मुं नम: वाम कर्णे ।
ॐ चां नम: दक्ष कर्णे ।
ॐ क्लीं नम: वाम नेत्रे ।
ॐ ह्रीं नम: दक्ष नेत्रे ।
ॐ ऐं ह्रीं नम: शिखायाम ॥
ब्रम्हारूप न्यास:-
ॐ ब्रम्हा सनातन: पादादी नाभि पर्यन्तं मां पातु ॥
ॐ जनार्दन: नाभेर्विशुद्धी पर्यन्तं नित्यं मां पातु ॥
ॐ रुद्र स्त्रीलोचन: विशुद्धेर्वम्हरंध्रातं मां पातु ॥
ॐ हं स: पादद्वयं मे पातु ॥
ॐ वैनतेय: कर इयं मे पातु ॥
ॐ वृषभश्चक्षुषी मे पातु ॥
ॐ गजानन: सर्वाड्गानी मे पातु ॥
ॐ सर्वानंन्द मयोहरी: परपरौ देहभागौ मे पातु ॥
माला पूजन
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“ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नंम:’’
ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिनी ।
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ॥
ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृहनामी दक्षिणे
करे । जपकाले च सिद्ध्यर्थ प्रसीद मम सिद्धये ॥
ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देही देही सर्वमन्त्रार्थसाधिनी साधय साधय सर्वसिद्धिं परिकल्पय परिकल्पय मे स्वाहा।
ध्यान मंत्र
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खड्गमं चक्रगदेशुषुचापपरिघात्र्छुलं भूशुण्डीम शिर: शड्ख संदधतीं करैस्त्रीनयना सर्वाड्ग भूषावृताम ।
नीलाश्मद्दुतीमास्यपाददशकां सेवे महाकालीकां यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधु कैटभम ॥
नवार्ण मंत्र
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ll ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ll
******श्री दुर्गा सप्तशती अनुसार******
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।। राहुलनाथ ©₂₀₁₇।।™,भिलाई,छत्तीसगढ़,भारत
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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हमारे लेखो को पढने के बाद पाठक उसे माने ,इसके लिए वे बाध्य नहीं है।हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है।यहां वैदिक-साबर-तांत्रिक ग्रंथो एवं स्वयं के अभ्यास अनुभव के आधार पर कुछ मंत्र-तंत्र संभंधित पोस्ट दी जाती है जो हामरे पूर्वज ऋषि-मुनियों की धरोहर है इसे ज्ञानार्थ ही ले ।लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे । किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की तंत्र-मंत्रादि की जटिल एवं पूर्ण विश्वास से साधना सिद्धि गुरु मार्गदर्शन में होती है अतः बिना गुरु के निर्देशन के साधनाए ना करे।
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