साबर रक्षा कवच-खुलजा सिम सिम -भाग३
किसी भी प्रकार की साधना से पहले ,साधना स्थल को सुरक्षित कर लेने से ,साधना में व्यवधान उत्पन्न नही होते एवं एकाग्रता बनी रहती है।आसन में बैठते ही सर्व प्रथम गुरु को प्रणाम कर ,नीचे लिखे मंत्र का 21 बार जाप करके दसो दिशाओ में फूंक मारने से स्थान बंधन हो जाता है ।इस मंत्र का उपयोग करने से पहले गुरुपूर्णिमा,अमावस्या,दीपावली दशहरा आदि पर्वो पर इस मंत्र को 11111 बार जाप कर सिद्ध कर लेना चाहिए।एवं साधना सम्पन्न होने पे इस कवच को पुनः खोल कर वापस ,कवच के देवता के पास भेज देना चाहिए।पुनः आवश्यकता होने से आह्वाहन कर कार्य सम्पूर्ण होने पर वापस भेज देना चाहिए।कवच के आह्वाहन का मंत्र यहां दिया जा रहा है ।सभी कवचों को धारण करने एवं उतारने की एक विशेष विधि एवं मंत्र होता है।
आप कोई भी कवच धारण करे यदि उसको खोलना नही आता आपको तो आपका जीवन खतरे में पढ़ सकता है अतः कवच तभी धारण करे जब आपको इसका धारण एवं विसर्जन करने का शुद्ध मंत्र ज्ञात हो।इस अज्ञानता के कारण ही साधको को कष्ट का सामना करना पड़ता है।इस संबंध में इससे पूर्व "खुल जाए सिम सिम"नाम की पोस्ट में इसका विश्लेषण किया जा चुका है |"खुल जा सिम सिम" पढ़ने के लिए इस लिंक पे क्लिक करे
लिंक:-https://m.facebook.com/photo.php?fbid=488230004718792&id=100005953891679&set=t.100005953891679&source=42
किंतु आज इस पोस्ट में कुछ बाते गुप्त रखी गई है कारण मात्र ये है कि ,अभी कुछ दिनों पहले एक सज्जन आये थे उन्होंने मुझसे कहा कि क्या आपको कवच खोलने के विधि पता है मेरे हा कहने पे उन्होंने कहा-कितने पैसे लगेंगे?उन्होंने कहा कि उनके गुरुजी ने उनसे कहा है यदि कवच खोलना सीखना चाहते हो तो 10000 रु लगेंगे।उनके गुरु का नाम पूछने पे उन्होंने जो नाम बताया वो हमारी फेसबुक आई डी में हमारे मित्र है और हर पोस्ट पड़ते है लाइक कमेंट नही करते किन्तु हा मेरी पोस्ट से विधि पढ़ कर बेच सकते है।मित्रों आप कोई भी तंत्र की किताबें,लाल-काली किताब या किसी भी मंत्र शास्त्र में कवच खोलने का विधान नाही बताया गया है।ये मुझे स्वप्न के माध्यम से प्राप्त हुआ था।जगत कल्याण की भावना से ये विधि सभी को बताई गई थी,आज उसको मेरे मित्र ही बेच रहे है।इसी प्रकार एक मशहूर लेखक ने भी इस विधि को अपने नाम से प्रकाशित किया एवं बाद में क्षमा माँगी।
मित्रो नीचे दिया मंत्र मुझे बनारस से वापसी के दौरान एक श्री नाथ साधु महाराज ने मेरी सेवा से प्रसन्न हो कर मुझे प्रदान किया था और इसको सिद्ध करने की पूरी विधि बताई थी।यहां पोस्ट ज्ञानार्थ लिखी गई है जो भी व्यक्ति इस मंत्र को सिद्ध करना चाहता हो वो मुझसे निजी रूप से बात कर विधि प्राप्त कर सकता है।
।।मंत्र।।
ॐ आई काली पूरु सिद्धेश्वरी अवतर-अवतर स्वाहा .........ॐ दशांगुली भीन्दलि ।वीरूड हारी मैंरुण्ड-भैरवी विधाराणी । रोला बंद।मुष्टि बंद। बाण बंद ।कृत्य बंद। रूद्र बंद। नेख बंद ।ग्रह बंद। प्रेत बंद ।भूत बंद ।यक्ष बंद ।कंकाल बंद। बेताल बंद। आकाश बंद। पाताल बंध।पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण सर्व दिशा बंद।ये और ये आछि कह। हस हस अवतर-अवतर। दशा विप्रा-रानी दशांगुलि शातास्त्र बंदिनी।वैदसि हूँ फट् स्वाहा।।
व्यक्तिगत अनुभूति एवं।विचार©₂₀₁₇
।। राहुलनाथ।।™
भिलाई,छत्तीसगढ़,भारत
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
चेतावनी-हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे । किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की वे बिना गुरु निर्देशन के साधनाए ना करे। यह केवल सुचना ही नहीं चेतावनी भी है।
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