नाकारात्मक दृष्टिकोण का हनन करे
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सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाये।यदि यकीं ना होतो
याद करे उस अँधेरे को,उस काल कोठरी को ,जो अपनी माता के गर्भ में आपने काटा।किसी ने 8 महीने किसीने 9 महीने और किसी ने नौ महीने दस दिन तक साधना की है सत्य की ।।।किसी भी बाहर की शक्ति में अपनेआप की तलाश करने से अच्छा भीतर तलाश करे?अपनी तलाश करे ।अपने भीतर तलाश करे।उस अँधेरे तक जाए ।जहाँ से आपका जन्म हुआ है।
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जयश्री महाँकाल
।।राहुलनाथ ।।
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
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