बुधवार, 22 मार्च 2017

दशंद्वार

दशंद्वार। 
गुरुदेव उवाच सभी जीवों सिर (खोपड़ी) के मध्य में लगभग 1 सेमी नीचे दसवाँ द्वार उपस्थित होता है । यहाँ अखण्ड अनहद ध्वनि निरन्तर होती रही है । एक प्रकार का गुंजन होता रहता है यह गुंजन झींगुर जैसी आवाज के समान होता है इस आवाज की प्रत्यक्ष अनुभूति के लिए गहन रात्रि के समय हमें खेत-खलियान,जंगल में जहां झाड़ियां अधिक हो वहां अकेले जा कर सुनना चाहिए।योगियो-सिद्धो,संत-महात्माओं ने इसे ही दशम द्वार कहा है।यह स्थान मोक्ष का द्वार है ।यदि कोई व्यक्ति इस द्वार तक किसी विधि द्वारा पहुँच जाये तो  वो इस ध्वनि को सुनने लगता है गहन ध्यान एवं योग की अवस्था में इस स्थान तक पहुचा जा सकता है।इस स्थान में पहुचाने के बाद इस दशम द्वार से योगी को पार होना होता है यहां से पार होना ही मोक्ष की तरफ बढ़ना है जो की सामान्य अवस्था में मनुष्य यहाँ नहीं पहुच पाता,तो उसका पुनर्जन्म निश्चित रूप से होता है।
कुन्डलीनी साधक हो या अद्वैत,दर्शन सभी का उद्देश्य इस द्वार को पार करना ही होता है किन्तु इस द्वार से पहले पड़ने वाले 9 द्वारो के साधना में साधको को ,हर द्वार पर सिद्धियों की प्राप्ति होती है और वो उन सिद्धियों के आकर्षण में फस कर वही रुक जाता है उसी स्थान में सार जीवन यापन कर देता है।किसी भी एक स्थान में स्थित हो कर साधक यदि मृत्यु को प्राप्त करता है तो आगे के द्वारो का सफर पुनः प्रारब्ध के द्वार की अनुभूतियों के अनुसार वो प्राप्त कर वो आगे के द्वार की खोज में लग जाता है।और यह यात्रा चलती रहती है जब तक वह दशम द्वार नहीं पहुच पाता,यहां अवश्य नहीं कोई बुद्धि के आने के बाद वो दस वर्षों में इस द्वार तक पहुचे ,हो सकता है महामाया के जाल में फस कर वह एक ही स्थान में कई जन्मों तक रुका रहे।किन्तु हाँ गुरु के प्राप्ति मात्र से ,गुरु के संकेत मात्र से ,गुरु के स्पन्दन के मात्र से वो एक ही जन्म में इस द्वार को भेद सकता है।ये जितने भी देवी-देवता फिर वो किसी भी धर्म के हो ,वे 9 द्वार तक ही सिमित है।इसके आगे गुरुधाम है।
मृत्यु के समय आपकी गति किस लोक में होगी ये निर्भर करता है कि आपके प्राण कहा से निकलते है जैसे बाकी 9 द्वारो में ,2कान से प्राण निकलने से प्रेतयोनि,2 आँख से किट-पतंगों की योनि,2 नाक से पक्षियोनि,1मुख से पशुयोनि,1लिंग या योनि से जल जीवो की योनि एवं 1 गुदा से प्राण निकलने पर नरक की प्राप्ति होती है।
आपके समक्ष जो भी तंत्र मंत्र यंत्र ,साधनाये-सिद्धियाँ, चमत्कार उपस्थित है ये सब 9 द्वारो की फांस है ।ये सभी फाँसो से निकलकर ही हम उस परम परमात्मा की शरण प्राप्त कर सकते है।
व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार जिसमे कुछ अंशो में स्मृतियों का सहयोग लिया गया है
।।जयश्री महाकाल महादेव।।
************राहुलनाथ*************

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