ये सत्य है कि देवी मांस का भक्षण करती है किंतु ये मांस किसी पशु-पक्षी,जिव-जंतु का नहीं बल्कि साधक का होता है,जैसे ही वो शक्ति श्रीराम के धनुष से निकले बाण की तरह जागती है तो सर्वप्रथम वो साधक के शरीर के मांस का भक्षण करती है और साधक मांस रहित होने लगता है।
व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार
।।राहुलनाथ।।
भिलाई,36गढ़
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