सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्
शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ॥१॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥२॥
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥३॥
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४॥
अथ मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा
॥ इति मंत्रः॥
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥१॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि॥२॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥३॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥ ४॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि॥ ५॥
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥६॥
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥७॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥८॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥
॥फल श्रुति॥
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥
यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥
। इति श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वतीसंवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।
SIDDHA KUNJIKA STOTRAM
SHIVA UVAACHA
SHRUNU DEVI PRAVAKSHYAMI
KUNJIKASTOTRAMUTTAMAM |
YEN MANTRAPRABHAAVEN
CHANDIJAPAH SHUBHO BHAVET ||1||
NA KAVACHAM NARGALASTOTRAM
KILAKAM NA RAHASYAKAM |
NA SUKTAM NAAPI DHYAANAM CHA
NA NYAASO NA CHA VAARCHANAM||2||
KUNJIKAPAATH MATRENA
DURGAPAATHFALAM LABHET |
ATI GRUHYANTARAM DEVI
DEVANAAMAPI DURLABHAM ||3||
GOPANIYAM PRAYATNEN SWAYONIRIV PAARVATI |
MAARANAM MOHANAM VASHYAM
STAMBHANOCHAATANAADIKAM |
PAATHMATREN SANSIDDHAYET
KUNJIKASTOTRAMUTTAMAM ||4||
||ATHA MANTRA||
OM AING HREEM KLEEM CHAMUNDAAYEI VICCHE | OM GLOUM HUM KLEEM JUM SAH JWAALAY JWAALAY JWAL JWAL PRAJWAL PRAJWAL AING HREEM KLEEM CHAMUNDAYE VICCHE JWAL HAM SAM LAM KSHAM PHAT SWAAHA
|| ITI MANTRAH ||
NAMASTE RUDRARUPINYEI
NAMASTE MADHUMARDINI |
NAMAH KAITBHAHARINYEI
NAMASTE MAHISHAARDINI ||1||
NAMASTE SHUMBHAHANTRAYEI CHA
NISHUMBHASURGHAATINI ||2||
JAAGRATAM HI MAHADEVI
JAPAM SIDDHIM KURUSHVA ME |
AIN-KARI SHRUSHTIRUPAAYEI
HREENKARI PRATIPAALIKA ||3||
KLEENKARI KAAMRUPINYEI
BEEJ RUPE NAMOSTU TE |
CHAMUNDAA CHANDGHAATI CHA
YAIKAARI VARDAAYINI ||4||
VICCHE CHAABHYADA NITYAM
NAMASTE MANTRARUPINI ||5||
DHAAM DHEEM DHOOM DHURJATEH PATNI VAAM VEEM VOOM VAAGDHISHVARI |
KRAAM KREEM KROOM KAALIKA DEVI SHAAM SHEEM SHOOM ME SHUBHAM KURU ||6||
HUM HUM HUMKAARRUPINYAI JAM JAM JAM JAMBHANAADINI |
BHRAAM BHREEM BHROOM BHAIRAVI BHADRE BHAVAANYEI TE NAMO NAMAH ||7||
AM KAM CHAM TAM TAM PAM YAM SHAM VEEM DUM AING VEEM HAM KSHAM
DHEEJAAGRAM DHEEJAAGRAM TROTAY TROTAY DEEPTAM KURU KURU SWAHA ||
PAAM PEEM POOM PAARVATI PURNA KHAM KHEEM KHOOM KHECHARI TATHAA ||8||
SAAM SEEM SOOM SAPTASHATI DEVYA MANTRASIDDHIM KURUSHVA ME ||
|| PHAL SHRUTI ||
IDAM TU KUNJIKASTOTRAM MANTRAJAAGARTIHETAVE |
ABHAKTE NAIVA DAATAVYAM GOPITAM RAKSH PAARVATI ||
YASTU KUNJIKAYAA DEVI HEENAM SAPTASHATI PATHET |
NA TASYA JAAYATE SIDDHIR-RANYEI RODANAM YATHAA ||
| ITISHREERUDRAYAAMALE GAURITANTRE SHIVPARVATI
SAMVADE KUNJIKASTOTRAM SAMPURNAM |
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