शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

||गुरु गोरखनाथ एक पूर्ण स्त्री रहित पुरुष एवं माहायोगि।।

||गुरु गोरखनाथ एक पूर्ण स्त्री रहित पुरुष एवं माहायोगि।।
स्त्री हर पुरुष में एवं पुरुष हर स्त्री में विद्यामान होता है यदि आप साधू है संत है ब्रह्मचारी है इसके बावजूद भी ,इनके भीतर स्त्री विद्यमान होती है।जो ब्रह्मचारी है उनके भीतर यह माता के रूप में और जो वैवाहिक है उनमे माता एवम् पत्नी के रूप में यह विद्यमान होती है।इसी प्रकार यह प्रक्रिया स्त्रियों के भीतर भी घटित होती है।इसे डी एन ए के माध्यम से जाना जा सकता है।इस जीवन काल में यदि कोई ब्रह्मचारी होता भी है तो स्त्री से परे नहीं हो सकता क्योकि माता के गर्भ में रहने के कारन स्त्री का तत्व शरीर में होता ही है।और जब तक पुरुष के शारीर में स्त्री तत्व होगा तब तक पुरुष में स्त्री के मुख्य गुण जैसे ममता,क्रोध ,अहंकार एवं जलन की भावना पुरुष में निवास करते ही रहेगी।यही प्रक्रिया स्त्री के भीतर भी होती है और उसमे भी अकास्मिक पुरुष के गुण दिखाई देने लगे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।।एक से अधिक सम्भोग की अवस्था में ये गुण उसी अनुपात में बढ़ते चले जाते है।फिर इन गुणधर्मो से बचना मुश्किल हो जाता है।मृत्यु के हजारो साल बाद भी
" डी एन ए" के माध्यम से इस स्त्री/पुरुष को पहचाना जा सकता है की वो सत्य में वे ब्रह्मचारी है, एकोपत्नी या एकोपति धर्म का पालन करते थे या नहीं।
आध्यात्मिक स्तर इसे ही अर्धनारीश्वर की संज्ञा दी गई है।इस परिभाषा के अनुसार इस संसार में सभी अर्धनारीश्वर ही है जाहे वो बालक हो शिशु हो,साधू-संत हो या ब्रह्मचारी।ये स्त्री या पुरुष एक दूसरे में "डी एन ए "के माद्वयम् से आपस में जुड़े ही रहते है इन्हें अलग नहीं किया जा सकता।चर्चा को आगे बढ़ाने से पूर्व आप इस
"डी एन ऐ" के विषय में कुछ बाते समझ ले।
"डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड" को संक्षेप में "डीएनए "कहते हैं। मानव समेत सभी जीव में अनुवांशिक गुण इसी के जरिए आता है। मनुष्य के शरीर की लगभग हर कोशिका में समान "डीएनए" मौजूद होते हैं।
"डीएनए" में उपस्थित सूचनाएं चार रसायनों (बेस) के कोड मैप के रूप में होती हैं- एडेनिन, गुआनिन, साइटोसिन और थायमिन। मानव" डीएनए "करीब तीन अरब बेस से बना होता है।
डीएनए टेस्ट में किसी के शरीर की कुछ कोशिकाएं लेकर दूसरे के शरीर की कोशिकाओं से उसका मिलान किया जाता है।
, एक ग्राम के "डी.एन.ए "में तकरीबन 30,00,000 सीडी के बराबर जानकारी जमा कर सकते हैं। यही नहीं, यह जानकारी सालों तक सँभालकर रखी जा सकती है। अगर हज़ार साल तक नहीं तो कम-से-कम सौ साल के लिए तो इसे रखा जा सकता है।
मात्र चुंबन के दौरान लार से पुरूष का "डीएनए "महिला साथी में एवं महिला से पुरुष के मुंह में ये पहुंच जाता है। यह डीएनए एक घंटे मुंह में जिंदा रहता है।
"डी एन ए "में आपके जीवन के सभी कर्मो का नक्शा होता है।ये "डी एन ए" दो शिराओं के द्वारा आपस में जुड़ा होता है कुण्डलिनी साधना करने वाले साधको ने इस प्रकार का चित्र देखा होगा।
मेरा विषय अध्यात्म रहा है और मैंने अपनी बुद्धि के अनुसार इसमें लगातार पिछले 25 वर्षो से शोध किये है और कुछ कुछ जाना भी है और बहुत कुछ जानना अभी शेष है। अब प्रश्न यह उठता है कि ऐसा कौनसा पुरुष हो सकता है जिसके भीतर स्त्री तत्व का जन्म ही नहीं हुआ हो वह वह कौन है "उनका क्या नाम है ?
क्या सृष्टि में ऐसा कोई पुरुष है?
मेरी छोटी सी बुद्धि के अनुसार मुझे लगता है कि इस संसार में "गुरुदेव गोरक्षनाथ जी" के अलावा कोई भी ऐसा पुरुष नहीं है जिसके भीतर स्त्री का तत्व विद्यमान नहीं होगा |पुरानी सुनी भी दंत कथाओं के अनुसार गुरु गोरखनाथ जी का जन्म गोबर के ढेर से हुआ था |अपने गुरु मछेंद्र नाथ जी के आशीर्वाद से हुआ था जो कि अयोनि है और ना ही उन्होंने विवाह किया है ऐसी अवस्था में वह अर्धनारीश्वर नहीं है वह पूर्ण रूप से मात्र एक पुरुष है।ब्रह्मचारी है महायोगी है।एक सम्पूर्ण पुरुषहै । और इसके ठीक विपरीत भगवान शिव शंभू भोलेनाथ जी की कथा के अनुसार जो कि मैंने बचपन से सुनी और बहुत से शास्त्रों में किताबों में अध्ययन के दौरान मैंने पाया ।भगवान शिव शंभू की 10 पत्नियां हुई किंतु देखा जाए तो भगवान शिव शंभू  सर्वेसर्वा है अयोनि है किंतु उनकी 10 पत्नियों का नाम शास्त्रों में दर्शाया जाता है बताया जाता है |जो इस बात की ओर इंगित करता है कि भोलेनाथ के भीतर 10 गुना स्त्री तत्व उपलब्ध है |एवं स्त्री तत्व के उपलब्ध होने के कारण ही वे अर्धनारीश्वर हैं। उनके अंदर ममता कूट कूट कर भरी हुई है इसी कारणवश में अपने भक्तों की करुणामई पुकार को सुनकर ततक्षण हाजिर हो भक्तों का कल्याण करने में समर्थ है ।वह दयालु है ।और क्षण भर में क्षमा दान देने वाले महादेव भोलेनाथ सभी भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में सक्षम है ।
मेरा यह जो विश्लेशन मैंने किया है यहां पर वह सिर्फ स्त्री और पुरुष को ध्यान में रखते हुए ही नहीं किया गया है जीव जंतुओं से भी जन्म लेने वाले इस विश्लेषण के अंतर्गत आ जाते हैं क्योंकि जीव जंतु के भीतर भी नर एवं मादा होती है अब यहां सोचने का विषय यह है कि !दादागुरु श्री मच्छिंद्रनाथ जी का जन्म भी मछली के गर्भ से उत्पन्न हुआ है जिसके कारण उनके भीतर भी स्त्री तत्व का समावेश हो जाता है इसके साथ-साथ दादा गुरु मछेंद्र नाथ जी का त्रिया राज्य में तिलोत्तमा के षड़यंत्र में फंस जाना भी  उनकी कमजोरी को दिखाता है क्योंकि स्त्री अंदर से आकर्षित ना भी कर पाए तो भी वह बाहर से आकर्षित करने की क्षमता रखती है |ऐसे ही इक स्त्री के त्रिया चरित्र में बहक कर राजा विक्रमादित्य के बड़े भाई  राजा भरथरी नाथ जी ने  सत्य का पान किया एवं स्त्री का त्याग कर कालांतर में  नाथ पंथ दीक्षा ले ली थी और उसके बाद तीन शतकों का  निर्माण कर  उसमें इनका विस्तृत विश्लेषण करने का प्रयास किया है ।जिसमे वैराग्य शतक मुख्य है।
इसे समझते हुए ऐसा लगता है कि सभी मायनो में गुरु गोरख नाथ जी का स्थान सर्वोपरि होना यह सामान्य सी घटना नहीं है और ना ही भविष्य में कोई और गुरु गोरखनाथ जी के समीप भी पहुंच सकता है ऐसी घटनाएं सदियों में एक बार होती है किंतु अब ऐसा होना मुमकिन नहीं है।
मैं आज जो कुछ भी लिखता हूं और आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूं मुझे नहीं पता कि मुझे वह कौन बताता है अचानक मैं मौन हो जाता हूं और मन में अलग अलग विचार आने लगते हैं और फिर मैं उन्हें लिखने लगता हूं उसमें किसी भी प्रकार का फेरबदल करता नहीं हूं मैं, जो है जैसा है ,गुरु गोरख की देन है |और मैं समझता हूं कि यदि वह मुझे कुछ बताते हैं तो मेरा फर्ज बनता है कि उसे समाज के समक्ष सभी को इस ज्ञान को उपलब्ध कराया जा सके। इस पूरे लेखक के अंदर किसी भी प्रकार की किसी भी व्यक्ति को या सम्प्रदाय को ठेस पहुंची हो या किसी विषय पर मैंने गलत लिख दिया हो तो कृपया कर मुझे क्षमा करें और त्रुटियों को बताने का कष्ट करें जिससे कि उसे बदला जा सके

।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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