।।रहस्यमई प्रार्थना ।।
मैं पूर्ण ब्रम्ह हूं।ब्रम्ह ही मेरे अंदर और चारो और बाहर में है।
मैं उनकी शक्ति शाली गोद में बैठा हूं वही मेरे भीतर बोल रहा है।
मैं जिवन में पूर्ण सुखी एवम प्रसनन चित्त हूँ मेरी इच्छा-शक्ति प्रबल हैं।
मैं निर्भय और निर्लिप्त होंकर सभी कार्य कर सकता हूं।
मेरे लिए कुछ "चमतकार" नहीं।
मैं झूठ ,धोखा,द्वेष,घृणा एवं बुरी आदतो से दूर रहता हूँ।मेरी आत्म शक्ति असीम एवम् प्रबल है ।एवं सब के अवचेतन मन को संचालित कर सकती है।मेरी आत्म।शक्ति किसी भी स्त्री-पुरुष,बालक एवं पशु पक्षीयो को अपने वष में कर सकती है।सफ़ेद,पिला,संतरा,कत्था,लाल ,बैगनी ,नीला,स्लेटी और काला।
यह सब रंग मेरे ही भीतर है।मेरा कोई रूप नहीं है,मैं इक्ष्हानुसार बिंदु-वृतरेखा -त्रिकोण एवं।चौकोंन में परिवर्तित हो सकता हूँ।मेरी भावनाओ पर मेरा पूर्ण नियंत्रण है।मैं भुत भविष्य एवं वर्तमान को जानता ही नहीं बल्कि उसमे प्रवेश भी कर सकता हूँ।मैं त्रिकालज्ञ हूँ।अलौकिक एवं पराशक्ति मेरे बस में है।किन्तु अहंकार मुख में नहीं।मैं ही अंको में समाँया हूँ।0-1-2-3-4-5,-6-7-8-9मैं ही हूँ ।मैं ही ब्रम्ह हूँ शिव भी मैं और साधारण मानव भी मैं ही हूँ।कालो में काल मैं हूँ श्वेत में अतिश्वेत मैं हुं।जहा स्मशान मेरा निवास है वही उज्जैन में मैं महाकाल हूँ।
मैं ही ब्रह्मा मैं ही विष्णु एवं मैं ही सदाशिव हूँ।
।।अलखनिरंजन आदेश।।
विशेष;-दिन में तिन बार समयानुसार पाठ करे।आप पायेगे आपका आत्म विशवास बढ़ गया है और आप निर्भय हो गए है।
(व्यक्तिगत अंतर्ध्वनि एवं विचार)
09:00 am
🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
Kawley rahulnaath osgy
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इस लेख में लिखे गए सभी नियम,सूत्र,तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है।विश्व में कही भी,किसी भी भाषा में ये सभी इस रूप में उपलब्ध नहीं है।अत:इस लेख में वर्णित सभी नियम ,सूत्र एवं व्याख्याए हमारी मौलिक संपत्ति है। किन्ही स्थानों में शास्त्रीय एवं ज्ञान वर्धक साहित्य का उपयोग आवश्यकतानुसार किया गया है।मेरे लेखो को पढने के बाद पाठक उसे माने ,इसके लिए वे बाध्य नहीं है।इसकी किसी भी प्रकार से चोरी,कॉप़ी-पेस्टिंग आदि में शोध का अतिलंघन समझा जाएगा और उस व्यक्ति पे वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।
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