#तंत्र_के_क्षेत्र_में_दस_महाविद्याएं(भाग-2)
🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱
#शक्ति_के_विविध_रूप-
माया, महामाया, मूल-प्रकृति, अविद्या, विद्या, अव्यक्त, अव्याकृत, कुण्डलिनी, महेश्वरी, आदिशक्ति, आदिमाया, पराशक्ति, परमेश्वरी, जगदीश्वरी, तमस, अज्ञान ये सभी ‘शक्ति’ के पर्यायवाची हैं।
नवदुर्गा, काली, अष्टलक्ष्मी, नवशक्ति, देवी आदि एक ‘पराशक्ति’ की ही अभिव्यक्तियाँ हैं।
महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली शक्ति के तीन प्रधान व्यक्त स्वरूप हैं। राधा और रुकिमणि लक्ष्मी के ही दूसरे रूप हैं और तारा तथा चण्डी देवी के रूप हैं।
प्रकृति व्यक्त और अव्यक्त है। मूल-प्रकृति अव्यक्त है, और इस भेद जगत का बीज है। इसमें जड़ तथा चेतन अभिन्न रूप में रहते हैं। जब ये शरीर में स्थित मूलाधारचक्र की अधिष्ठात्री देवी बनती है, तब ये ‘डाकिनी’ का रूप धारण कर लेती है; स्वाधिष्ठान चक्र में ये ‘राकिनी’ बन जाती है, मणिपुर चक्र में ये ‘लाकिनी’ के रूप में रहती है, अनाहत में ये ‘काकिनी’ के रूप में रहती है तथा विशुद्ध चक्र में ये ‘शाकिनी’ के रूप में रहती हैं।
परा और अपरा प्रकृति
☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️
शक्ति सत्व, रज और तम के द्वारा अपना कार्य करती है। इस स्थूल जगत की सृष्टि के लिये आकाश, वायु, तेज, जल और पृथ्वी, ये पाँच तत्व अर्थात पंचमहाभूत उनके साधन हैं। ये पंचतत्व और मन, बुद्धि और अहंकार मिलकर जड अथवा अपरा प्रकृति कहलाते हैं। यह स्वयं संसार के लिये बंधनरूप हैं।
परा प्रकृति विशुद्ध हैं। ये स्वयं आत्मरूप है, क्षेत्रज्ञ है। ये ही जीवन को धारण करती है। यह समस्त जगत के अन्दर प्रवेश कर उसे धारण किये हुए है। इसे चैतन्य प्रकृति भी कहते हैं।
शक्ति की अवस्थाएँ –
☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️
शक्ति की दो अवस्थाएँ होती हैं – गुण-साम्यावस्था और वैषम्यावस्था। गुण-साम्यावस्था वह अवस्था है जिसमें तीनों गुण – सत्व, रज और तम साम्यावस्था में स्थित रहते हैं, जो प्रलयकाल में होती है। उस समय असंख्य जीव अपने संस्कारों तथा अधिष्ठाता (अधिष्ठाता का अर्थ – कर्म की अदृश्य शक्ति अथवा फलदायिनी शक्ति जो कर्म के अन्दर छिपी रहती है) के साथ अव्यक्त अवस्था में रहते हैं।
वैषम्यावस्था वह अवस्था है जब प्रलय के पश्चात साम्यावस्थित शक्ति में स्पंद अर्थात स्फूर्ति होती है, ताकि तिरोहित जीवों को अपने-अपने कर्मों का फल भोगने की इच्छा होती हैं। इससे बह्म सृष्टि के हेतु बाध्य हो जाते हैं और उनके संकल्प मात्र से सृष्टि उत्पन्न हो जाती हैं।
सृष्टि के समय जब आदिशक्ति के अन्दर क्षोभ होता है तो तीनों गुण- सत्व, रज और तम व्यक्त हो जाते हैं।
दस महाविद्याओं का नाम
☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️
दस महाविद्याओं का सम्बन्ध सती, शिवा और पार्वती से हैं। ये ही विभिन्न रूपों में नवदुर्गा, शक्ति, चामुण्डा, विष्णुप्रिया आदि नामों से पूजित और अर्चित की जाती हैं। देवीपुराण में एक कथा आती है कि जब माता सती ने अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में जाना चाही तब भगवान् शिव ने निषेध किया। इससे क्रोधित हो भगवती ने अपनी अङ्गभूता दस देवियों को प्रकट की। माता आदिशक्ति की ये स्वरूपा शक्तियाँ ही दस महाविद्याएँ, जिनके नाम हैं-
काली, तारा, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, त्रिपुरभैरवी, भुवनेश्वरी, त्रिपुरसुन्दरी, मातङ्गी और कमला।
(शक्तियां एक ही है किंतु अलग-अलग नामो से इनको पुकारा जाता है)
शम्भो ! मैं भयंकर रूपवाली भैरवी हूँ। आप भय न करें। ये सभी मूर्तियाँ बहुत सी मूर्तियों में प्रकृष्ट अर्थात मुख्य हैं।
चामुण्डा तन्त्र के अनुसार ये दस महाविद्याएँ हैं-
काली तारा महाविद्या षोडशी भुवनेश्वरी ।
भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धूमवती तथा ।।
बगला सिद्धविद्या च मातङ्गी कमलात्मिका ।
एता दस महाविद्या: सिद्धि विद्या: प्रकीर्तिता ।।
दस महाविद्याएँ का स्वरूप –
☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️
वास्तव में काली, तारा, छिन्नमस्ता, बगलामुखी, और धूमावती – ये महाविद्याएँ रूप और विग्रह में प्रकट रूप में कठोर किन्तु अप्रकट करुण-रूप हैं। भुवनेश्वरी, षोडशी, त्रिपुरभैरवी, मातङ्गी और कमला ये विद्याओं के सौम्यरूप हैं। एक ही महाशक्ति कभी रौद्र तो कभी सौम्य रूपों में विराजती हैं। रौद्र के सम्यक साक्षात्कार के बिना माधुर्य को नहीं जाना जा सकता और माधुर्य के अभाव में रौद्र की सम्यक परिकल्पना नहीं की जा सकती। इन महाविद्याओं का स्वरूप अचिन्त्य और शब्दातीत है, पर भक्तों और साधकों के लिये इनकी करुणामयी कृपा का कोष नित्य-निरन्तर खुला रहता है। दस महाविद्याओं का स्वरूप इसी रहस्य का परिणाम है, जो अत्यंत गोपनीय है। जिसमें महान दार्शनिक तथा धार्मि क तत्व निहित है। जो काली से कमला तक की ये यात्रा दस स्तरों में पूर्ण होती हैं। (संकलितं पोस्ट एवं छाया चित्र साभार गूगल)
सर्वस्य बुद्धिरूपेण जनस्य हृदि संस्थिते।
हे मां ! आप बुद्धि के रूप में सबों के हृदय में स्थित हो !
क्रमशः:-
#तंत्र_के_क्षेत्र_में_दस_महाविद्याएं(भाग-1) पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पे क्लिक करे।👇
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2066685210206589&id=100005953891679
🚩🄹🅂🄼🔱🄾🅂🄶🅈 🙏🄰🄰🄳🄴🅂🄷
#राहुलनाथ ™ भिलाई 🖋️
(ज्योतिष-तंत्र-वास्तु एवं अन्य अनुष्ठान-जीवन प्रशिक्षक)
महाकाल आश्रम,भिलाई,३६गढ़,भारत,📱 +𝟵𝟭𝟵𝟴𝟮𝟳𝟯𝟳𝟰𝟬𝟳𝟰(𝘄)
🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵🔵
#चेतावनी_डिसक्लेमर:-
''इस लेख वर्णित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है।यहां वर्णित नियम/सूत्र/व्याख्याए/तथ्य स्वयं के अभ्यास-अनुभव के आधार पर एवं गुरू-साधु-संतों के कथन,ज्योतिष-वास्तु
/वैदिक/तांत्रिक/आध्यात्मिक/साबरी ग्रंथो/लोक मान्यताओं/विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी मात्र शैक्षणिक उद्देश्यों हेतु दी गई है।इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।''हम इसकी पुष्टि नहीं करते।इसके लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।किसी भी विवाद की स्थिति न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़,भारत।©कॉपी राइट एक्ट 1957))
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें