#श्रीबगलामुखी_जयंती_की_हार्दिक_शुभकामनाएं
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ध्यान -1
मध्ये सुधाब्धिमणिमण्डपरत्नवेद्यां
सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णाम्।
पीताम्बराभरणमाल्यबिभूतिषताङ्गी
देवीं स्मरामि धृतमुद्गर वैरिजिह्वाम्॥
चतुर्भुजां त्रिनयनां कमलासन संस्थितां।
त्रिशूलं पान पात्रं च गदा जिह्वां च विभ्रतीम्॥
बिम्बोष्ठी कंबुकण्ठीं च सम पीन पयोधरां।
पीताम्बरां मदाघूर्णां ध्यायेद् ब्रह्मास्व देवताम्॥
ध्यान -2
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।
★ {बगलामुखी पंचास्त्र} ★
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※1※[वडवामुखी अथवा वडवास्त्र]-रण-स्तम्भन कारक है।
※2※[ उल्कामुखी अस्त्र]- तीनों लोकों का स्तम्भन करने में सक्षम है।
※3※[ज्वालामुखी अस्त्र]- देवताओं तथा ऋषियों का स्तम्भन करने में समर्थ है।
※4※[जातवेद मुखी अस्त्र]-ब्रह्मा-विष्णु-महेश का स्तम्भन एवं उनसे रक्षा हेतु ‘जातवेदमुखी’ का प्रयोग किया जाता है।
※5※[बृहदभानमुखी अस्त्र]-सभी प्रकार के काम्य प्रयोगों के लिए ‘वृहदभानुमुखी’ अस्त्र का प्रयोग किया है! यह इतना प्रभावशाली है कि इसके प्रयोग से सवा करोड़ त्रिपुरा समुदाय, 50 करोड़ भैरव, राक्षसों, नारसिंह का तथा करोड़ों पूतनाओं का स्तम्भन बिना किसी विशेष प्रयास के ही हो जाता है।
★★जय श्री पीतांबरा माई की★★
|| वडवामुखी मंत्र ||
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|| ॐ ह्लीं हूं ग्लौं बगलामुखि ह्लां ह्लीं ह्लूं सर्वदुष्टानां ह्लैं ह्लौं ह्लः वाचं मुखं स्तंभय ह्लः ह्लौं ह्लैं जिह्वां कीलय ह्लूं ह्लीं ह्लां बुद्धिं विनाशय ग्लौं हूं ह्लीं हुं फट् || विनियोगः- ॐ अस्य श्रीबगलामुखी-मन्त्रस्य वशिष्ठ ऋषिः, पंक्ति छन्दः, बगलामुखी देवता, ह्लीं बीजं, स्वाहा शक्तिः, सर्वशत्रु-क्षयार्थे जपे विनियोगः । ऋष्यादिन्यासः- नारद ऋषये नमः शिरसि । पंक्ति छन्दसे नमः मुखे । बगलामुखी देवतायै नमः हृदि । ह्लीं बीजाय नमः गुह्ये । स्वाहा शक्तये नमः पादयोः । सर्वशत्रु-क्षयार्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ।
ध्यान
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हाथ में पीले फूल, पीले अक्षत और जल लेकर ‘ध्यान’ करे – पीताम्बरधरां देवीं द्विसहस्रभुजान्विताम् । अर्द्ध जिह्वां गदां चार्द्धं धारयन्तीं शिवां भजे ।। जपः- १२ लाख जप करें । हरताल की आहुति देवें ।
|| उल्कामुखी मंत्र ||
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|| ॐ ह्लीं ग्लौं वगलामुखि ॐ ह्लीं ग्लौं सर्व-दुष्टानां ॐ ह्लीं ग्लौं वाचं मुखं पदं ॐ ह्लीं ग्लौं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लीं ग्लौं जिह्वां कीलय ॐ ह्लीं ग्लौं बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ ग्लौं ह्लीं ॐ स्वाहा || विनियोगः- ॐ अस्य श्रीबगलामुखी-मन्त्रस्य यज्ञवराह ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, ह्लीं बीजं, स्वाहा शक्तिः, ॐ कीलकं सर्वशत्रु-क्षयार्थे जपे विनियोगः । ऋष्यादिन्यासः- यज्ञवराह ऋषये नमः शिरसि । अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे । ह्लीं बीजाय नमः हृदि । स्वाहा शक्तये नमः गुह्ये । ॐ कीलकाय नमः पादयो । सर्वार्थ सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ।
ध्यान
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हाथ में पीले फूल, पीले अक्षत और जल लेकर ‘ध्यान’ करे – विलयानलसंकाशं वीरावेशन संस्थिता । वीराट्टहास महादेवी स्तम्भनास्त्रं भजाम्यहम् ।। १४ लाख जप । हरताल की १ लाख आहुतियाँ देवे । सांख्यायन तंत्र में वीरावेशन संभृताम् । वीराश्रयां महादेवी स्तंभनार्थं भजाम्यहम् ।। लिखा है ।
|| जातवेदमुखी मंत्र ||
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|| ॐ ह्लीं ह्सौं ह्लीं ॐ वगलामुखि सर्व-दुष्टानां ॐ ह्लीं ह्सौं ह्लीं ॐ वाचं मुखं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लीं ह्सौं ह्लीं ॐ जिह्वां कीलय ॐ ह्लीं ह्सौं ह्लीं ॐ बुद्धिं नाशय नाशय ॐ ह्लीं ह्सौं ह्लीं ॐ स्वाहा || पाठान्तर भेद में कहीं “पदं” नहीं है तथा विनाशय के स्थान पर नाशय है ।
विनियोग
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ॐ अस्य श्रीबगलामुखी-मन्त्रस्य, कालाग्निरुद्र ऋषिः, पंक्ति छन्दः, ॐ बीजं, ह्रीं शक्तिः, हूं कीलकं ममाभीष्ट सिद्धये जपे विनियोगः । (सांख्या॰ तंत्र में ह्लीं शक्ति, ह्रौं कीलक कहा है)
ध्यानम्
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जातवेदमुखीं देवीं देवतां प्राणरुपिणीं । भजेऽहं स्तंभनार्थं च चिन्मयी विश्वरुपिणीम् ।। पुरश्चरणः- ३० लाख जप ।
|| ज्वालामुखी मंत्र ||
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|| ॐ ह्लीं रां रीं रुं रैं रौं प्रस्फुर प्रस्फुर ज्वाला-मुखि ॐ ह्लीं रां रीं रुं रैं रौं प्रस्फुर प्रस्फुर सर्व-दुष्टानां ॐ ह्लीं रां रीं रुं रैं रौं प्रस्फुर प्रस्फुर वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लीं रां रीं रुं रैं रौं प्रस्फुर प्रस्फुर जिह्वां कीलय कीलय ॐ ह्लीं रां रीं रुं रैं रौं प्रस्फुर प्रस्फुर बुद्धिं विनाशय विनाशय ॐ ह्लीं रां रीं रुं रैं रौं प्रस्फुर प्रस्फुर स्वाहा || पाठान्तर भेद में विनाशय के स्थान पर नाशय हैं तथा कईं आचार्यों का मत है कि ज्वालामुखि के स्थान पर बगलामुखि होना चाहिए ।
विनियोग
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ॐ अस्य श्रीबगलामुखी-मन्त्रस्य, अत्रि ऋषिः, गायत्री छन्दः, ह्लीं बीजं, स्वाहा शक्तिः, ॐ कीलकं सर्वशत्रु स्तंभनार्थे, क्षयार्थे जपे विनियोगः ।
ध्यान
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ज्वलत्पुञ्ज समायुक्तां कालानल समप्रभाम् । चिन्मयीं स्तंभनाद्देवीं भजेऽहं विधिपूर्वकम् ।। १२ लाख जप, हरताल से २ लाख आहुति, गोदुग्ध से तर्पण ४ लाख, ब्राह्मण-भोजन दो हजार करे ।
|| वृहद्भानुमुखी मंत्र ||
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|| ॐ ह्ल्रां ह्ल्रीं ह्ल्रूं ह्ल्रैं ह्ल्रौं ह्ल्रः ह्ल्रां ह्ल्रीं ह्ल्रूं ह्ल्रैं ह्ल्रौं ह्ल्रः ॐ वगलामुखि १४ सर्व-दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय १४ जिह्वां कीलय १४ बुद्धिं नाशय १४ ॐ स्वाहा || पाठान्तर भेद “ह्ल्रां ह्ल्रीं” के स्थान पर “ह्लां ह्लीं” तथा विनाशय के स्थान पर नाशय है ।
यह विद्या शत्रु का तेजहरण तथा स्तंभन करती है । परविद्या स्तंभन कर स्वविद्या प्रकाशित करती है ।
विनियोग
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ॐ अस्य श्रीबगलामुखी-मन्त्रस्य, अत्रि ऋषिः, गायत्री छन्दः, ह्लीं बीजं, ह्रीं शक्तिः, ॐ कीलकं परसैन्य परविद्या स्तंभनार्थे स्वविद्या प्रकाशनार्थे जपे विनियोगः ।
ध्यान
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कालानलनिभां देवीं ज्वलत्पुञ्ज शिरोरुहां । कोटिबाहु समायुक्तां वैरिजिह्वां समन्वितान् ।। स्तंभनास्त्रमयीं देवीं दृढपीनपयोधराम् । मदिरामोद संयुक्तां वृहद्भानुमुखीं भजे ।। १२ लाख जप, दशांश तालक हवन, गुडोदक तर्पण दशांश ब्राह्मण भोजन ।
#मां_बगलामुखी_के_विशेष_मंत्र
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ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:
मां बगलामुखी का भयनाशक मंत्र
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ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हर:
शत्रु नाशक मंत्र
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ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु
सर्व बाधा नाशक मंत्र
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ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधां नाशय नाशय
शत्रुनाशक मंत्र
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ॐ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग: । ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा ।
#बगलामुखी_शाबर_मंत्र
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बगलामुखी शाबर मंत्र – 1
ॐ मलयाचल बगला भगवती महाक्रूरी महाकराली राजमुख बन्धनं ग्राममुख बन्धनं ग्रामपुरुष बन्धनं कालमुख बन्धनं चौरमुख बन्धनं व्याघ्रमुख बन्धनं सर्वदुष्ट ग्रह बन्धनं सर्वजन बन्धनं वशीकुरु हुं फट् स्वाहा।
बगलामुखी शाबर मंत्र – 2
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ॐ सौ सौ सुता समुन्दर टापू, टापू में थापा, सिंहासन पीला, सिंहासन पीले ऊपर कौन बैसे? सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बैसे। बगलामुखी के कौन संगी, कौन साथी? कच्ची बच्ची काक कुतिआ स्वान चिड़िया। ॐ बगला बाला हाथ मुदगर मार, शत्रु-हृदय पर स्वार, तिसकी जिह्ना खिच्चै। बगलामुखी मरणी-करणी, उच्चाटन धरणी , अनन्त कोटि सिद्धों ने मानी। ॐ बगलामुखीरमे ब्रह्माणी भण्डे, चन्द्रसूर फिरे खण्डे-खण्डे, बाला बगलामुखी नमो नमस्कार।
बगलामुखी शाबर मत्रं-3
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ॐ बगलामुखी महाक्रूरी शत्रू की जिह्वा को पकड़कर मुदगर से प्रहार कर , अंग प्रत्यंग स्तम्भ कर घर बाघं व्यापार बांध तिराहा बांध चौराहा बांध चार खूँट मरघट के बांध जादू टोना टोटका बांध दुष्ट दुष्ट्रनी कि बिध्या बांध छल कपट प्रपंचों को बांध सत्य नाम आदेश गुरू का।
बगलामुखी शाबर मंत्र – 4
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कच्ची बच्ची काक कुतिआ स्वान चिड़िया। ॐ बगला बाला हाथ मुदगर मार, शत्रु-हृदय पर स्वार, तिसकी जिह्ना खिच्चै। बगलामुखी मरणी-करणी, उच्चाटन धरणी , अनन्त कोटि सिद्धों ने मानी। ॐ बगलामुखीरमे ब्रह्माणी भण्डे, चन्द्रसूर फिरे खण्डे-खण्डे, बाला बगलामुखी नमो नमस्कार।
संकलित पोस्ट द्वारा
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🕉️🙏🏻🚩आदेश-जयश्री माहाँकाल 🚩🙏🏻🕉️
लेखन-सम्पादन-संकलन
#राहुलनाथ_™ 🖋️....
ज्योतिषाचार्य,भिलाई'३६गढ़,भारत
#आपके_हितार्थ_नोट:- पोस्ट ज्ञानार्थ एवं शैक्षणिक उद्देश्य हेतु ग्रहण करे।बिना गुरु या मार्गदर्शक के निर्देशन के साधनाए या प्रयोग ना करे।
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