रविवार, 16 दिसंबर 2018

महाकालसंहिता(तंत्र)गुह्यकालीखंड:(भाग-३)

#महाकालसंहिता(तंत्र)गुह्यकालीखंड:(भाग-३)
शाक्त_और_शैव_तंत्र_के_भेद
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जिस तांत्रिक प्रक्रिया में भगवान शिव की प्राधानता होती है और शक्ति यहां गौड़ या सुप्त रूप होती है उसका वर्णन करने वाला शास्त्र शैव तंत्र या इस प्रक्रिया से पूजा करने वाला शैव कहलाता है ठीक इसके विपरीत जिस तांत्रिक प्रक्रिया में शक्ति की प्राधानता होती है और शिव यहां गौड़ या सुप्त रूप होते है उसका वर्णन करने वाला शास्त्र शाक्त तंत्र या इस प्रक्रिया से पूजा करने वाला शाक्त कहलाता है ।यह भेद सामान्य स्तर पर है वस्तुतः शिव और शक्ति में अविनाभावरूप संबंध है।एक के बिना दूसरे की कल्पना नही,दूसरे का अस्तित्व नही-
#श्लोक-
न शिवः शक्तिरहितो न शक्तिर्व्यतिरेकिणी।
शक्तिशक्तिमतोरभेदः शैवे जातु न वर्णयते ।।
यह साधक या उपासक के स्तर की बात है कि वह किसमे श्रद्धावान है शिव में या शक्ति में ।उसके मन मे जिसके प्रति आस्था प्रेम और विश्वास होता है उसी की साधना ततसंबंध ग्रंथो या गुरु के निर्देशों के अनुसार करनी पड़ती है।
#शैवागम-शैवागमो में दस शिवागम,अष्टादश रुद्रागम,चौसठ भैरवागम,आठ यामल तथा अन्य अनेक ग्रंथो की परिगणना होती है।शिव वस्तुतः एक है किंतु अलग-अलग कार्यो के लिए भिन्न-भिन्न रूप धारण कर वे अलग कार्यो का सम्पादन करते है।यह भेद अपूर्ण जीवो की पात्रता को ध्यान में रखकर स्वयं परमेश्वर द्वारा रचित होता है ये दशो शैवागम भेद प्रदान है।इनका विशेष प्रचलन तमिलनाडु में है।
इसी प्रकार रुद्रागमो की संख्या अठारह है इन रुद्रागमो को वीरशैव नाम से भी अभिहित किया जाता है।इनका प्रचलन मुख्यतया कर्णाटक प्रदेश में है।
श्रीकंठीसंहिता में चौसठ भैरवागमो का विवरण मिलता है इनको आठ अष्टको में बाँटा गया है।
#१.भैरवाष्टक-स्वछंदभैरव,चंड़भैरव,क्रोधभैरव,उन्मत्तभैरव,असितांगभैरव,महोच्छावासभैरव(भीषण),कपालिशभैरव और रुरुभैरव।
इसी प्रकार से यामलाष्टक,मत्ताष्टक,मंगलाष्टक,चक्राष्टक,बहुरूपाष्टक,वागीशाष्टक और शिखाष्टक आदि को भी आठ-आठ भागो में बांटा गया है यहां सभी अष्टको को सूची नही दी जा रही है।
शिवोपासको को ध्यान में रखकर शैवागमो का आविर्भाव हुआ।इसी प्रकार शाक्तगमो का अवतरण शाक्त साधको को दृष्टि में रखकर किया गया।एक ही शक्ति के ना ना रूप है एवं उन रूपो की उपासना साधना के लिए नाना प्रकार के आगम है।
निम्लिखित पोस्ट को लिखने के लिए "महाकालसंहिता" का सहयोग लिया गया है।यदि ये तंत्रोक्त जानकारी जिसका उद्गम भगवान शिव के मुखारबिंद से है यदि आप भक्तो को पसंद आती है तो भविष्य में इस पे लगातार मेरी कलम चलते रहेगी।
क्रमशः

🚩जै श्री महाकाल🚩
।। राहुलनाथ।।™
📞 +919827374074(W),+917999870013
**** #मेरी_भक्ति_अघोर_महाकाल_की_शक्ति ****
चेतावनी:-यहां तांत्रिक-आध्यात्मिक ग्रंथो एवं स्वयं के अभ्यास अनुभव के आधार पर कुछ मंत्र-तंत्र सम्बंधित पोस्ट मात्र शैक्षणिक उद्देश्यों हेतु दी जाती है।तंत्र-मंत्रादि की जटिल एवं पूर्ण विश्वास से  साधना-सिद्धि गुरु मार्गदर्शन में होती है अतः बिना गुरु के निर्देशन के साधनाए ना करे।विवाद की स्थिति में न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़,भारत,

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