बिना गुरु "मंत्र साधना" कैसे करे।
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मंत्र साधना में गुरु का होना अवश्य है मंत्र साधना में अपने गुरुदेव के चित्र को अपने सामने सफेद वस्त्र के आसन पे विराजमान कर मंत्र साधना करनी चाहिए।यदि साधक के गुरु ना हो तो स्वयं को अपना गुरु मानकर अपनी फोटो या फिर भगवान शिव को ही अपना गुरु मानकर,भगवान शिव का चित्र सामने आसान में बैठा कर साधना करने से साधना में सफलता अवश्य मिलती है।किन्तु उचित यही होगा कि गुरु धारण कर लिया जाए।साधना काल मे यदि आपने गुरु धारण किया है तो स्वप्न के माध्यम से आपके गुरु आपसे संपर्क कर साधक का मार्ग प्रशस्त करते है और स्वयं की फ़ोटो सामने रखने से आपको सपने में अपने ही दर्शन होते है और आपकी आत्माराम गुरु बनकर आपका मार्ग प्रशस्त करती है।
स्वयं को गुरु मानकर साधना करते समय अपने अस्तित्व का भान नही रहना चाहिए एवं अपने मन वचन कर्म अस्तित्व में गुरु का ही अस्तित्व स्वीकार कर,उस समय आपके भीतर जो भी विचार,आज्ञा या इनकार प्रकट हो या अचानक कोई वाणी-सबद मुख से प्रगट हो उसे गुरु की आज्ञा समझ कर निसन्देह स्वीकार कर लेना चाहिए।उन आदेशो की अवहेलना नही करनी चाहिए फिर वो विचार रसगुल्ला खाने का हो,वस्त्र उतारने का हो,मदिरा या खीर के सेवन का हो,जो भी हो उसे पूरा करना चाहिए,इसकी अवहेलना नही करनी चाहिए।साधना काल में अपने ज्ञान,अनुभवों एवं स्मृतियों को अपने से अलग कर देना चाहिए।सिर्फ और सिर्फ गुरु के आदेश का पालन करना चाहिए किन्तु इन आदेशों को अपने भौतिक गुरु के अलावा किसी अन्य को नही बताना चाहिए अन्यथा संकट का सामना करना पड़ सकता है हो सकता ये आदेश माँस-मदिरा के सेवन ना करने वालो को ,सेवन का आदेश हो या फिर माँस-मदिरा के सेवन करने वालो को इनका सेवन करने की मनाई हो।जो भी हो गुरु वचन समझ कर पूरा करना चाहिए।किसी भी प्रकार से गुरु का निरादर या बुराई करने से भयंकर दंड की संभावना होती है अतः मन की इस आदत का बहिष्कार करे।
साधना काल मे गुरु की फोटो के अलावा अपने इष्ट या आप जिसकी साधना कर रहे है उनकी फोटो भी आसन पे रखना चाहिए।स्मरण रखे एक बार संकल्प ले कर जाप एक निश्चित संख्या में ही किया जाए एवम संकल्पित दिनों तक जाप अवश्य करना चाहिए।
मंत्र साधना का प्रारम्भ किसी भी शुभ मुहूर्त,नक्षत्र शुभ दिन,शुभ तिथि,ग्रहणकाल या नवरात्रि में करना चाहिए एवं रोज जितनी माला जाप की जाए उसका नित्य एक छोटा सा हवन करना चाहिए।
आप जिस देवता की साधना करते है उनके वर्ण रंग के अनुसार ही वस्त्र,आसन, फल-फूल एवं मिष्ठान का चयन कर गौमुखी में रखकर रुद्राक्ष की माला से जाप करना चाहिए।
साधना काल मे मंत्र के जाप की ध्वनि ऐसी रखे कि आपके ओष्ठ तो हिलते रहे किन्तु शब्द् आपके कानो तक नही पहुचना चाहिए।
हवन सामग्री देवताओ के अनुसार धूप,गुगुल,लुभान,सुगन्धबाला,जौ,हवन बुरा,घी,शहद इत्यादि से कर देवताओ के पसंद के फल की नित्य हवन में बलि देनी चाहिए।
क्रमशः
व्यक्तिगत अनुभूति एवं।विचार©₂₀₁₇
।। राहुलवाणी।।™
भिलाई,छत्तीसगढ़,भारत
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********मेरी भक्ति गुरु की शक्ति********
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जवाब देंहटाएंक्या मैं बिना गुरू के साधना कर सकता हु
जवाब देंहटाएंमेरे ईस्ट भगवान श्री कृष्ण राधा है और मैंने अपना कोई गुरू नहीं बनाया हे मुझे कोनसा
जवाब देंहटाएंबिना गुरु के साधना किया जा सकता है क्या
जवाब देंहटाएंYadi sadhana kaal me aankho ke band hone par baar2hindi me likha shadi Aur anko ka dikhne ka Kya matlab hai. Mai BHOLE SHANKER ko guru mankar jaap kar kar raha hu.
जवाब देंहटाएंAnil Kumar
akgarg321@gmail.com
Jo gyaan mere jaam kaa nahi wo bekaar hai, sandeha se bharaa.
जवाब देंहटाएंबीना गूरू से मन्त्र के जाप कैसे
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