रहस्यमयी विद्याओ का जो थोड़ा बहुत ज्ञान मुझे मिला वो अधिकांश ज्ञान मुझे उन पवित्र आत्माओ से मिला जो अब धरती में नही बस्ती।और जब वे धरती पे बस्ते भी थे तब भी उन्हें ये ज्ञान मृत आत्माओ से ही प्राप्त हुआ था।पंचेन्द्रियों में जन्मा व्यक्ति मात्र इन्द्रियों की अनुभूति के अनुसार ही ज्ञान प्राप्त कर सकता है जो कि मिथ्या मात्र है।चार इन्द्रियों में अंकुश लगाया जा सकता है किंतु पांचवी इन्द्रिय से बना ये शरीर अंत मे बाधक हो जाता है,इससे पार पाना नामुमकिन तो नही किन्तु मुश्किल जरूर है।शरीर से बाहर निकल कर इस ज्ञान को अनुभूत किया जा सकता है लेकिन ये सब के बस की बात नही किन्तु हा ये अनुभूति सामान्यतः सभी 24 घंटे में एक बार अवश्य कर सकते है यदि आप सजग है तो क्योकि आत्मा को 24 घंटे में एक बार इस शरीर का त्याग करना ही होता है फिर वो क्षण मात्र के लिए ही क्यो ना हो।बहुत बार हम स्वप्न में देखते है की हम शरीर से बाहर है और आसमान में उड़ रहे है इसे हम स्वपन समझ कर भूल जाते है लेकिन ये अनुभूत स्वप्न में ही होता है या फिर ऐसा कहे की जब ये अनुभूत होता है तो स्वपन के समान लगता है।
व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार©
।।राहुलनाथ।।
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