क्या प्रसाद खाने से,पूजा कराने से बर्बादी हो सकती है?
जी हां हो सकती है ये इसपर निर्भर करता है कि पूजा किसकी की गई है और प्रसाद किसको चढ़ाया गया है।आप ये समझते ही होंगे की सारी अंगुलिया एक समान नहीं होती उसी प्रकार,सभी देवता एक समान नहीं होते।कोई अच्छे देवता होते है कोई बुरे देवता होते है और कोई अच्छे बुरे दोनों स्वभाव के होते है और कोई कोई तटस्त देवता होते है।जिनमे तटस्त देवता महादेव एवं नारद ही है बाकी सभी देवता गुण प्रदान है।आप समझे की जो शैतान होगा तो उसका भी तो कोई भगवान अवश्य होगा जिसकी शरण में वो कृत्य करता होगा।एक डाकू का भी देवता होगा तो एक पुलिसकर्मी का भी भगवान होगा जो दोनों को उनकी इच्छा के अनुसार प्रदान करता होगा।यहाँ अच्छे और बुरे देवताओ की सूची नहीं दी जा रही है इसे आपको स्वयं समझना होगा बस इतना समझे की ये देवता काले से प्रारम्भ हो कर चमकीले सफ़ेद में बदल जाते है और मध्य में ये साँवले हो जाते है इस प्रकार इन देवताओ का उनके गुणों के अनुसार रंग बदलता चित्रों और मूर्तियों में दिखाया जाता है।काले से सफ़ेद रंगों के बदलाव में इनके कुल 9 रंग बनते जैसे काला,लाल,नीला,पिला इत्यादि ।इन रंगों से इनके गुणों का पता लगाया जा सकता है।ये देवता अपने कर्मो के अनुसार मारण,मोहन,स्तम्भन,विद्वेषण,उच्चाटन,वशीकरण,जैसे एवं दया,ममता,आशीर्वाद इत्यादि प्राप्त करते है।
अब समझने वाली बात ये है कि यदि स्तंभन के देवता को जो पीले रंग का है यदि उसे आपके नाम से प्रसाद चढ़ा दिया जाए और कुछ गुप्त बाते जो जन्म पत्रिका का नामाक्षर होता है और आपका गोत्र,माता-पिता का नाम और एक जानकारी जो गुप्त है बता के आपके नाम से पूजा दे कर किसी प्रकार उस पूजा का प्रसाद या फल फूल आप तक पहुचा दिया जाये तब आपके प्रसाद ग्रहण करते ही आपके जीवन का स्तम्भन हो जाएगा।इसी प्रकार अन्य यदि किसी सात्विक देवता को भी आपके लिए पूजा प्रसाद चढ़ा कर यदि आपके जीवन को अच्छा करने के लिए आशीर्वाद माँगा जाए और यदि ये फल फूल प्रसाद का आप भोग कर ले तो आपका जीवन अच्छा हो सकता है।किंतु आपको यदि देवताओ के गुणों की जानकारी नहीं हो तो आप क्या करेंगे।बहुत से लोग अपने दुःख और बिमारी दूर करने प्रसाद चढ़ाते है इस कामना से की उनका दुःख और बिमारी ठीक हो जाए मतलब एक रोगी का रोग = सवा किलो प्रसाद,जो वो अपने रोग को 10 बीस लोगो में बराबर बाँट देता है,मित्रो प्रकृति का नियम समानता का है यहां कुछ भी ख़त्म नहीं होता मात्र रूप बदलता है यदि आप 1 ग्राम जल को जलायेगे तो जल 1 ग्राम भाप बन जाएगा जल नष्ट नहीं होगा।कुछ लोग अपनी सफलता के लिए प्रसाद बांटते है जिसे ग्रहण करने वाले का जीवन सफल होने लगता है ऐसी अवस्था में क्या आप सभी से प्रसाद लेने के पहले क्या उनसे प्रसाद देने का कारण पूछेंगे ,नहीं ना??
यहां तो सभी देवताओं को पिता एवं देवियो को माता कहा जाता है।जबकि शास्त्रो में बहुत सी जगह देवी शब्द लिखा गया है बल्कि सामान्य उसे माता कहकर पुकारते है।
अभी तक जो बातें ऊपर लिखी गई वो देवताओ के विषय में थी अब जरा सोचिए यहाँ तो ऐसे लोग भी है जो मुर्दो की पूजा करते है मसान की पूजा करते है और प्रसाद बांटते है और मुर्दो में अच्छा या बुरा ढूंढना तो और परेशान करने वाला कार्य है।
ये एक बहुत जटिल विषय है इसीलिए इसे गुरु शिष्य परंपरा में सिखाया जाता है जिससे जगत की हानि ना हो किन्तु होता ठीक इसके विपरीत ही है शक्ति मिलते ही ज्यादा से ज्यादा लोग भस्मासुर बन जाते है।स्मरण रहे ये देवी देवता एक ऊर्जा है विद्युत् है और विद्युत किसी की माता या पिता नहीं होती,बिना सुरक्षा के माता माता कह के छु लिया तो मृत्यु निश्चित है।
*****जयश्री महाकाल****
******राहुलनाथ********
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।। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति।।
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