गुरुवार, 17 नवंबर 2016

लक्ष्मी जंजीरा

लक्ष्मी जंजीरा-सफल व्यापार वर्धक प्रार्थना मंत्र विधि।।
अक्सर बहुत से व्यापारी मित्रों के सन्देश आते है कि कोई ऐसी विधि या मंत्र बताइये जिससे व्यापार में लाभ हो,वे मंत्र मांगते है इसका मतलब है कि वे महादेव कृत मंत्र विद्या में विश्वास रखते है।नीचे पोस्ट में आपको एक साबर मंत्र विधि दी जा रही है kroइसे कम से कम तीन महीने अवश्य करे ,ईश्वर ने चाहा तो आपको अवश्य लाभ मिलेगा।लाभ होने की अवस्था में आप दिनों की अवधि बड़ा सकते है।
।।विधि।।
इस मंत्र का प्रारम्भ आप मंगलवार या रविवार से कर सकते है। इस दिन आप देवी के दर्शन कर एवं प्रसाद रूप में खीर,बताशा,मीठा सुगन्धित पान जिसमे तम्बाखू ना हो ,कमल का पुष्प एवं जायफल देवी को प्रदान कर ,मंदिर में ही इस मंत्र को 108 बार जाप करे,जाप संपूर्ण होने के बाद देवी के चरणों से एक फूल अपने साथ अपने व्यापार स्थल पे ले आये एवं उस फूल को तिजोरी में रेशमी सोटन या फलालेन के कपडे में रख दे।अगले दिन से आप अपने व्यापारिक स्थल पे ,जहां आपकी गद्दी या कुर्सी पे कोई कपड़ा बिछाकर ,मंदिर से लाये फूल को अपनी बाई जंघा के नीचे रख कर 31 बार इस मंत्र का जाप करे।जाप संपूर्ण होने के बाद फूल को यथावत तिजोरी में स्थापित कर दे।ये क्रिया रोज करनी है।जाप करने के लिए आप रुद्राक्ष या कामलगट्ठे की माला का उपयोग कर सकते है ।माला नहीं होने की स्थिति में हाथो के पोरों पे भी जाप किये जा सकते है।इस पुष्प को 27 दिन नित्य पूजन करे एवं 28 वे दिन बहते पानी में विसर्जन कर दे,एवं पुनः 28 वे दिन मंदिर में जा के देवी को प्रसाद अर्पित कर फूल ले आये।
।।नियम।।
इस पूरी विधि में नियम ये है कि आप इस मंत्र को किसी व्यक्ति को बता नहीं सकते,मंत्र को जाप करते समय आपके होंठ तो हिलते रहे किन्तु सबद आपके कानो में सुनाई ना दे।31 बार मंत्र पढ़े बिना आप बिच में किसी से बात ना करे,मंत्र को आधे जाप में ना छोडे।
प्रयोग एवं मंत्र की गुप्तता बनाये रखे,मंदिर अकेले जाए।
व्यपार की गद्दी पे मदिरा का सेवन करके ना बैठे।
ये मंत्र विधि एक स्वर्ण व्यापारी ने मुझे लिख के बताई थी उसके अनुसार उसकी सफलता का राज यही मंत्र था।

।।मंत्र।।

जय जय जय लक्ष्मी भंडारी माई ।
सात दीप नव खंड दुहाई ।।
रिद्धि-सिद्धि के गुण लाई ।
ला व्यापार करावे ज्यूं चहु।।
त्युं कार्य करावे ओं ठ ओं ।।

*****जयश्री महाकाल****
******राहुलनाथ********
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                   ।। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति।।
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