महाकाल स्तोत्रं
ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते
महाकाल महायोगिन महाकाल नमोस्तुते
महाकाल महादेव महाकाल महा प्रभो
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोस्तुते
महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोपहन
महाकाल महाकाल महाकाल नमोस्तुते
भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशुना पतये नमः
उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः
भीमाय च नमस्तुभ्यं मिशानाया नमो नमः
ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः
सघोजात नमस्तुभ्यं शुक्ल वर्ण नमो नमः
अधः काल अग्नि रुद्राय रूद्र रूप आय वै नमः
स्थितुपति लयानाम च हेतु रूपआय वै नमः
परमेश्वर रूप स्तवं नील कंठ नमोस्तुते
पवनाय नमतुभ्यम हुताशन नमोस्तुते
सोम रूप नमस्तुभ्यं सूर्य रूप नमोस्तुते
यजमान नमस्तुभ्यं अकाशाया नमो नमः
सर्व रूप नमस्तुभ्यं विश्व रूप नमोस्तुते
ब्रहम रूप नमस्तुभ्यं विष्णु रूप नमोस्तुते
रूद्र रूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोस्तुते
स्थावराय नमस्तुभ्यं जंघमाय नमो नमः
नमः उभय रूपा भ्याम शाश्वताय नमो नमः
हुं हुंकार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः
सचिदानंद रूपआय महाकालाय ते नमः
प्रसीद में नमो नित्यं मेघ वर्ण नमोस्तुते
प्रसीद में महेशान दिग्वासाया नमो नमः
ॐ ह्रीं माया - स्वरूपाय सच्चिदानंद तेजसे
स्वः सम्पूर्ण मन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः
फल श्रुति
इत्येवं देव देवस्य मह्कालासय भैरवी
कीर्तितम पूजनं सम्यक सधाकानाम सुखावहम
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महाकालस्तुति
नमोsस्तवनन्तरूपाय नीलकण्ठ नमोsस्तु ते।
अविज्ञातस्वरूपाय कैवल्यायामृताय च ।। १ ।।
नान्तं देवा विजाननन्तिं यस्य तस्मै नमो नम: ।
यं न वाच: प्रशंसन्ति नमस्तस्मै चिदात्मने ।। २ ।।
योगिनो यं हृद:कोशे प्रणिधानेन निश्चला: ।
ज्योतीरूपं प्रपश्यन्ति तस्मै श्रीब्रह्मणे नम: ।। ३ ।।
कालात्पराय काले स्वेच्छया पुरुषाय च ।
गुणत्रयस्वरूपाय नम: प्रकृतिरूपिणे ।। ४ ।।
विष्णवे सत्त्वरूपाय रजोरूपाय वेधसे ।
तमोरूपाय रुद्राय स्तिथिसर्गान्तकारिणे ।। ५ ।।
नमो नम: स्वरूपाय पञ्चबुद्धीन्द्रियात्मने ।
क्षित्यादीपञ्चरूपाय नमस्ते विषयात्मने ।। ६ ।।
नमो ब्रह्माण्डरूपाय तदन्तर्वर्तिने नम: । अर्वाचीनपराचीनविश्वरूपाय ते नम: ।। ७ ।।
अचिन्त्यनित्यरूपाय सदसत्पतये नम: ।
नमस्ते भक्तकृपया स्वेच्छाविष्कृत विग्रह ।। ८ ।।
तव नि:श्वसितं वेदास्तव वेदोsखिलं जगत ।
विश्वभूतानि ते पाद: शिरो द्यौ: समवर्तत ।। ९ ।।
नाभ्या आसीदन्तरिक्षं लोमानी च वनस्पति: ।
चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षो: सुर्यस्तव प्रभो ।। १० ।।
त्वमेव सर्वं त्वयि देव सर्वं
सर्वस्तुतिस्तव्य इह त्वमेव ।
ईश त्वया वास्यमिदं हि सर्वं
नमोsस्तु भूयोsपि नमो नमस्ते ।। ११ ।।
।। इति श्री स्कन्दमहापुराणे ब्रह्मखण्डे महाकालस्तुति: सम्पूर्णा ।।
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।।राहुलनाथ ।।
साधक,ज्योतिष,वास्तु ,एवं आध्यात्मिक लेखक
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||जयश्री महाकाल ।।
जय महाकाल
जवाब देंहटाएंजय शिवशम्भो