गुरुवार, 21 जुलाई 2016

||अर्धनारीश्वर ||

अर्धनारीश्वर(व्यक्तिगत अनुभूति)
॥पायो जी मैंने राम रतन धन पायो॥

सभी पुरुषो के भीतर एक स्त्री का अस्तित्व भी होता है।उसकी सोच में में बसी उस स्त्री को वह बाहर खोजता रहता हैसभी बाहरी स्त्रियों में उस मन की मुरत की तलाश वह वैसे ही करता रहता है जैसे मृग कस्तूरी की करता है।किन्तु वो उसे नहीं मिलती यदि मिले भी तो कुछ समय के बाद वो मूरत टूट जाती है बिखर जाती है।मात्र मिलती है एक अज्ञात अशांति!
बार-बार बाहर की स्त्री को खोजता पुरुष हमेशा अतृप्त रहता है जो कभी उपलब्ध नहीं हो पाता।
इसी प्रकार स्त्री के भीतर भी एक पुरुष की छवि होती है जिसे वो बार बार बाहर खोजती रहती है स्त्री का भी वही हाल होता है जो पुरुष का!
दोनों अतृप्त है,दोनों अशांति में है
किन्तु बाहर की दौड़ में जब पुरुष भीतर की स्त्री को एवम् स्त्री भीतर के पुरुष को पहचान जाती है,पकड़ लेती है,समझ जाती है
उस दिन से भीतर ही भीतर मैथुन स्वयं में प्रारम्भ हो जाता है
बस यही ख़त्म हो जाता है बाहर का सफ़र!
अब क्या खोजेगा बाहर को???
इस अवस्था में ना स्त्री को पुरुष की और ना पुरुष को स्त्री की आवश्यकता होती है।और भीतरी मैथुन में प्रवेश करते ही दोनों ऊर्जा से भर जाते है,प्रेम से लबालब हो जाते है दोनों!
बिलकुल विपरीत अवस्था है ये बाहरी मैथुन से ऊर्जा का ह्रास होता है बल्कि भीतरी मैथुन से नई शक्ति का संचार होता है और एक प्रकार का ऊर्जा का पूर्ण वर्तुल बन जाता है यही शिव और शिवा का अर्थनारीश्वर रूप है....
यही वह अवस्था है जहा भक्त अपने भगवान को पहचान जाता है जैसे मीरा अपने भीतर के कृष्ण को पहचान गई और गाने लगी...
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो..

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
******राहुलनाथ********
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
फेसबुक परिचय:-https://m.facebook.com/yogirahulnathosgy/
चेतावनी-हमारे लेखो में लिखे गए सभी नियम,सूत्र,तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है। लेखो को पढने के बाद पाठक उसे माने ,इसके लिए वे बाध्य नहीं है।हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले।बिना लेखक की लिखितअनुमति के लेख के किसी भी अंश का कॉपी-पेस्ट ,या कही भी प्रकाषित करना वर्जित है।न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें