||चेतन धूनी ||
स्वाहा स्वाहा -देवताओ को आहुति-
यज्ञ का दैनिक जिवन मे महत्वपुर्ण ही नही वरन इसके बिना जीवन यापन नही हो सकाता!! किन्तु यज्ञ क्या हैं !!
एक कुंड का निर्माण कर अगनि प्रजव्लित कर भोज्य सामग्री को भस्म करना ?
नही ऎसा नही है सब का अपना नजरिया है मैने जाना हवन सभी करते है हर जिव हवन करता है चाहे वह जन्म से अंड्ज -पिडज या फिर स्वेदज ही क्यो नहौ !! इस शरीर रुपी कुंड के गर्भ में अग्नि जन्म के पहले ही जलने लगती है !
जितना भी खाया पिया अन्न है उसकी आहुतिया नित्य ही देनी होती है अन्यथा यह गर्भरुपी धुना बुझ सकता है !! ईस धुनी को जलाये रखने कै लिये स्वास रुपी वायु से झोकते रहना होता है !! और लगातार अन्न की आहुतियाँ प्रदान करनी होती है इसी से जिवन चलता रहता है !! इस धुनी की अग्नि व्यवस्था से उतपन्न तापमान की मर्यादा बनाये रखने हेतु दिन भर जल से तर्पण करते रहना होता है !!! यही है सच्चा यज्ञ!! सच्चा हवन !! इससे मतलब नही की आपने हवन सामग्री कौन सी ग्रहण की है कोई नित्य मांस की भी आहुतिया समर्पित करते रहाता है !! किन्तु जैसी सामग्री से हवन होगा उसकी प्रवृ्त्ति भी उपयुक्त अन्न के गुणो से पुर्ण हो अपने अनुसार भावनाऔ का निर्माण करति है ! मन्त्र साधना मे भी इस धुनी का पुर्ण महत्व है यदी आप 125000 मंत्रो का जाप करते है तौ दशांस 12500 मन्त्रों के साथ स्वाहा शव्द का उच्चारण कर भोजन की आहुतियां देनी होगी !!! यदी ऎसा नही किया तो यह अग्नि साधक भक्त की काया को ही खाने लगती है !!! शास्त्रों मे इस शक्ति को महातारा के नाम से जाना जाता है !!! यह धुना हर जिव के भीतर हर दिन हर पल चेतन रहता है जाहे आप सो रहे हो या जाग रहे हो !!! इस यग्य मे आहुतियों को प्रदान न करना ही उपवास कहलाता है !!! जैसि ही आप आहुतिया प्रदान करते है वैसे ही जो उर्जा सर्वप्रथम तैयार होती है या जन्म लेती है वह ही महाकाली कहलाती है !!! बाकी सभ वयर्थ है !!!धुने कै बिना धर्म का प्रचार प्रसार भी नही हो सकता !!!
श्री नाथ जी गुरुजी को आदेश !!
।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।
(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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