शनिवार, 23 जुलाई 2016

|||इंद्रजाल|||

|||इंद्रजाल|||
(मित्रो कृपया एक बार समय निकाल कर इस पोस्ट को अवशय पढ़े।
तंत्र में एक जड़ी है जिसे कहते है इंद्रजाल !
इंद्रजाल मतलब इन्द्रियों का जाल।ये जाल दो रूपो में आते है पहला काले रंग का जिसे इंद्रजाल कहा जाता है और दूसरा मायाजाल जो सफ़ेद रंग का होता है।दोनों ही खतरनाक है।
अपने जीवन काल में हमने अपना अधिकतर समय इस विद्या को समझने में लगाया।इसी दौरान एक अघोरी से मेरी मुलाक़ात 2007 में हुई। उन्होंने मुझे ये इंद्रजाल प्रदान किया मात्र 51 रु में।और उन्होंने कहा रोज इनकी पूजा करो कल्याण होगा।हमने वैसे ही किया किन्तु
दिन ब दिन मेरे हालात बिगड़ते ही गए और मैं उस सज्जन जिन्होंने मुझे वो इंद्रजाल प्रदान किया मैं उनकी शरण में  चला गया।करीब 2011 तक मेरी परेशानी ख़त्म ही नहीं हो रही थी।समस्या का समाधान नहीं हो रहा था।
किन्तु जो भी होता है भगवान महादेव की इच्छा से ही होता है।और ये कृत्या भी महादेव की इच्छा से ही मुझे सिखाने हेतु ही हुआ था।
2011 में मेरे एक मित्र ने मुझे इस विषय में बताया ,मेरे मित्र के शरिर में देवी धूमावती की सवारी आती थी और उसका चरित्र अचानक बदल जाता था।उसकी चाल वृद्धा स्त्री के सामान हो जाती थी और उसकी वाणी भी बदल जाती थी।एक दिन वो मुझसे मिलने आया और घर में आते ही कहने लगा ।चिन्दी हटा दे,इंद्रजाल हटा दे।अघोरी है तुझे बर्बाद कर देगा।
ये बात तो मात्र मैं जानता था की ,मेरे पास इंडजाल है और अघोरी की दी हुई कुछ चिन्दी है जो की स्मशान में आये हुए मुर्दो के शरीर के वस्त्र है जो की मुझे उस सज्जन ने मेरे विश्वास की आड़ में दिए थे।
मेरे लिए ये तो चमत्कार ही रहा ।
फिर मेरे मित्र के शरीर में आने वाली आत्मा या देवता ने उस कस्ट से निवारण हेतु मुझे
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास उपस्थित मुक्तेश्वर कुण्ड से जल ला कर अपने निवास स्थान पे छिटकने कहा ।
और मैंने विशवास में वैसे ही किया ।आप यकींन माने स्थिति धीरे धीरे सुधरने लगी ।
उस इंद्रजाल को उस आत्मा के आदेश से मैंने बहते हुए जल में 21 सिक्को के साथ बहा दिया और उस चिन्दी को जो उस अघोरी ने दी थी उसे स्मशान में दबा दिया गया।
किसी भी प्रकार की तांत्रिक जड़ी बुटी अपने निवास में ना रखे ये सब उलटा तंत्र है जो आपको पीड़ित कर सकता है।ये सब गुप्त ज्ञान गुरु देव की इच्छा से प्राप्त हो सकता है किन्तु आज सही गुरु की तलाश करना कोयले की कोठरी से ,अँधेरे में चवन्नी ढूंढने के सामान ही है।
मैं उस दिव्या आत्मा का आभारी हु जिसने मेरा मार्ग प्रशस्त किया
फिर वो आत्मा भगवान की हो शैतान की हो।या वो कोई मृतात्मा की हो ,जो भी हो।
समय पे जो काम आये मेरे अनुसार वो ही भगवान है।
||जैश्री महाकाल ||
।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
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