रविवार, 31 जुलाई 2016

।। मंत्र उच्चारण रहस्य ।।

।। मंत्र उच्चारण रहस्य ।।
चंद्र वंशीय वो देवता है जिनके नाम से चंद्र बिंदु छलकता है जैसे सबद धुँ -इसमें जो बिंदु मस्तक पे दिया है वो चंद्र बिंदु है,जिसमे धु सबद के ऊपर चंद्रवंशीय है।जो की विष्णु पंथी वैष्णव है।।
अब यही सबद शिव वंशी बनजाता है जब इसपे से चंद्र बिंदु हट कर "मकार"लगा जाता है जैसे :-धुं सबद -इसके मस्तिष्क पे जो बिंदु लगा है वो चंद्राकार में नहींहै इस सबद में चंद्र नहीं है मात्र बिंदु है जो अकार का स्वरूप है। जो शिवपंथी शैव है।
ऐसे में आप सोचिये की सही उच्चारण धुन् धुन् होना चाहिए या धुम् धुम् होना चाहिए ।
इसी प्रकार हर मंत्र जो संस्कृत में हो उसका उच्चारण समझना आवश्यक होता है।
अब एक मंत्र प्रार्थना लीजिये
प्रार्थना:-
ॐ धुँ धुँ धूनावती ठः ठः स्वाहा  ।।
Aum dhun dhun dhunaavati thah thah swahaa||

या
ॐ धुं धुं धूमावती ठः ठः स्वाहा ।।
Aum dhum dhum dhumaavatithah thah swahaa||
इन दोनों में से सही कौन सी प्रार्थना है?

ॐ धुँ धुँ धूनावती ठः ठः स्वाहा  ।।
समें समझने वाली बात ये है की इसमें वैष्णव पंथी अर्थात् विष्णु जो चंद्रवंशीय है इनकी पत्नी स्वयं महालक्ष्मी है जो धन की अधिस्ष्टत्रि
देवी है और  गृहस्त धन से चलता है ।जो की हर गृहस्त की पहली आकांक्षा रहती है।धन,दौलत,गाडी,घोड़ा ,मकान ये सब सुख चंद्र कुल में उपलब्ध है।

ॐ धुं धुं धूमावती ठः ठः स्वाहा ।।
इसके विपरीत ये मंत्र "ॐ धुं धुं धूमावती ठः ठः स्वाहा ।।"
ये शैव मंत्र है जिसके अधिपति महादेव है और इनकी शक्ति स्वयं महागौरी है।जो दोनों सुखो को देने वाली है ।
इसी प्रकार अन्य मात्राएँ भी है जिनका उच्चारण अलग अलग है जैसे अ से लेकर अः तक 16 मात्राएँ,जिसमे मध्य की चार मात्राओ का उच्चारण करना गुरु गम्य है।
अँग, इया, ण, न,म,श ये भी पांच मात्राएँ ही है।इसमें अँग् लिंगायात है,
इस प्रकार धू मंत्र का अनेक उच्चारण होंगे।
जैसे:-dhun,dhoon,dhum,dhoom,dhung,dhoong इत्यादि अनेक
इनमे से सही उच्चारण जानना तिल से तेल निकालने के समान है।इसे लिख कर नहीं समझा जा सकता इसे मात्र मौखिक रूप से सुनकर समझा जा सकता है।

क्रमशः।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
******राहुलनाथ********
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।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।
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