गुरुवार, 21 जुलाई 2016

||आत्म सुत्र ||

||आत्म सुत्र ||
जो जैसा हो उसे वैसा ही रहने दे उसके मुल रुप को ग्रहण करे !
                 उसे बदलने का प्रयास न करे !!
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यदि मैं और तुम हम दोनो  यदि चाँद को देखें
और मैं तुम से पुछुँ चाँद की ओर इशारा करके  कि ये क्या है?
तो तुम भी कहोगे  की चाँद  को देख रहा हुँ!
लेकिन तुमहारे उत्तर पर  मै तुम से कहुँ की तुम मेरी नकल उतार रहे हो!
तुम मेरी काँपी कर रहे हो ?
तो तुम क्या कहोगे ?मुझ को?
इसी प्रकार सत्य एक ही है और सब को बराबर दिखता है!
किन्तु  कुछ समझते है,कुछ कोशिश करते है और कुछ बस जिते रहते है !!
ढलते रहते है परिस्थिति के अनुसार !!
सत्य सब से परे है किन्तु सब से सुंदर भी है!सत्य जो अटल  है वो क्या है? मृ्त्यु है? जो सत्य है!
जो हिन्दु है,मुसलिम है ,सिख है,ईसाई है या कोई भी !!  जो मात्र फल खाता है वह भी मरेगा!
जो भोजन खाता है वह भी मरेगा!!जो शाखाहारी है वो भी और जो माँसाहारी है वो भी!!
जो उपवास करता है वह भी और जो भोजन के लिये ततपर रहता है वह भी !! जो ईशवर को मानता है वह भी जो नही मानता है वह  भी मरेगा !!
हर कोई श्री काल के हाथो की कठपुतली मात्र है !!
जन्म के क्षण से ही कुछ फासले पे हमारे साथ मृ्त्यु चलते रहती है जिस दिन दोनो मिलते है
तो हम अपनो से बिछड जाते है!मृ्त्यु हो जाती है और ये क्रम चलता रहता है जन्मो जन्म !!
जब तक तुमहे अपने जन्म का उद्देश्य पता न चल जाये !!
और पता चल जाये तो वही स्थिर हो जाना ही मोक्ष है शिव है ! जिते जी !
और जो जो बचता है उसे कुछ जला देते है कुछ गडा देते है!!
मानव हो या दानव हर कोई जीस मार्ग से जनम लेता है उसी मार्ग से वापस जाने की
रोज चेष्ठा करता है किन्तु वो द्वार नही खुलता मात्र संतान की उतपत्ति  होति रहती है!!
आत्म सुत्र :- जो जैसा हो उसे वैसा ही रहने दे उसके मुल रुप को ग्रहण करे !
                 उसे बदलने का प्रयास न करे !!

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
******राहुलनाथ********
{आपका मित्र,लेखक,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।
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चेतावनी-हमारे लेखो में लिखे गए सभी नियम,सूत्र,तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है। लेखो को पढने के बाद पाठक उसे माने ,इसके लिए वे बाध्य नहीं है।हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले।बिना लेखक की लिखितअनुमति के लेख के किसी भी अंश का कॉपी-पेस्ट ,या कही भी प्रकाषित करना वर्जित है।न्यायलय क्षेत्र दुर्ग छत्तीसगढ़
(©कॉपी राइट एक्ट 1957)

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