शनिवार, 23 जुलाई 2016

ईच्छा पुर्ति हेतु सात्विक प्रयोग

!! जै श्री महाकाल !!
ईच्छा पुर्ति हेतु सात्विक प्रयोग
मनोकामना पुर्ति हेतु यह प्रयोग शुभ एवं फलदायक होने के साथ-साथ अपना प्रत्यक्ष प्रभाव रखता है !! इस के पहले यह प्रयोग कही प्रकाशित नहि हुआ है!!इस प्रयोग के देवता श्री महाकाल जी के साथ महामाया भवानी है !जो सिंह पे सवार है ! रक्तवर्ण के वस्त्रों को धारण कर स्वर्ण से सुसज्जित महामाया आदि शक्ति शत्रुओं को धव्स्त कर ईच्छा को पुर्ण करने मे सक्ष्म है !
शत्रु चाहे कोई भी हो !!
कोई ग्रह,राक्षस,भुत-प्रेत बाधा,अस्कार-फट्कार,नजरदोष,किया-कराया या फिर कोई भी बाधा के कारण यदि मनोकामना पुर्ण नहि होती हो तो माता भावानी को सा़क्षि मानकर प्रयोग प्रारंभ करे !!
कल्याण अवश्य होगा !!
यदि आपको व्यवसाय मे बाधा आ रहि हो,कन्या का विवाह न हो रहा हो,मंगलदोष हो,काल सर्पयोग हो,स्वास्थ खराब रहता हो,अपनी ईच्छानुसार विवाह करना चाहते हो या अन्य इच्छा की पुर्णता हेतु माता भवानी की शरण लेना ही हितकर है!!
किसि भी प्रकार के ढोंग-पाखंड का सहारा न लेते हुये माता से स्वयं प्रार्थना करे !! माता जितनी मेरी है उतनी ही आपकी भी!!किसि का सहारा ना ले !!
किसि गुरु,तान्त्रिक,मान्त्रिक,यान्त्रिक,बाबा,बैगा भगत का सहारा न ले स्वयं करे क्योकी जो मांगता है उसे प्राप्त होता है!!
बाकी सब माया है!! छलावा है धोखा है !!

!!प्रयोग प्रारंभ !!

ईस विधी को किसि भी मंगलवार से प्रारंभ किया जा सकता है किन्तु शुक्लपक्ष की अष्ट्मी तिथि ज्यादा शुभ होगी !!मंगलवार के दिन राहुकाल मे (3 से 4:30) दोपहर के बिच अनुष्ठान प्रारंभ करे !!लाल वस्त्र धारण करे एवं माता की फोटो लालवस्त्रों मे हो तो उचित होगा !! इस पुजा मे याद रखे सभि वस्तुये लाल रंग की हो जैसे माता का आसन,फुल,फल,नैवेद्धय,चुडि,बिन्दि,अलता इत्यादि !!
यह अनुश्ठान 9 मंगलवार का होगा !!हर मंगलवार माता की स्थापना कर आवहान कर अंत मे माता का विसर्जन करना होगा !!सबसे पहले चौकी स्थापित करे उसपे लाल वस्त्र बिछाकर माता भवानी की तस्विर स्थापित करे!!माता के दाये तरफ कलश लाल वस्त्र मे लपेट स्थापित करे !!7 आम के पत्र,1 रु का सिक्का,अक्षत एवं शक्कर कलश मे डाले !! धुप जलाये एवं घी का दिपक चेतन कर दोनो हाथ जोड कर माता भवानी को प्रणाम कर आहवान करे !!
प्रार्थना:- कहे माता भवानी आ जाओ आ जाओ मेरी इच्छा पुर्ण करो!!सभी भक्तों का कल्याण किया हे मेरा भी करो !!मेरी रक्षा करो!!
माता भवानी को भोग अर्पण करे,पुष्प अर्पण करे,जल अर्पण करे,
कपुर,काजल,इत्र,शहद,घी+शक्कर कामिश्रण अर्पिर करे !!पुन: प्रणाम करे !!
अब जो विषेश प्रयोग है वो ये है कि आपको निंबु को काट कर साफ करे,निंबु के अंदर से पुर्ण सफाई करे मात्र निंबु का खोल रहने दे उसे धोने के बाद पलट दे एवं निम्बु के बाहरी हिस्से मे 5 बार हल्दी-कुंकु लगाये !! जो की दिये के रुप मे रहेगा !! इस निंबु के खोला में घी या तेल अपनी इच्छानुसार डाल कर दिपक चेतन करे !!एक निंबु को काटने से दो दिपक जलाये जायेगे !! इसि प्रकार हर बढते मंगलवार के साथ निंबु और दिपक की संख्या बढाते जाये !! जैसे पहले मंगलवार 1निम्बु दो दिपक, दुसरे मंगलवार दो निम्बु चार दिपक और नवे मंगलवार नौ निम्बु और अठ्ठारह दीपक !! निंबु काट के धोने के बाद जो सामग्री शेष बचे उसे वृ्क्ष पे डाल दे बस ध्यान रखे जिस वृ्क्ष मे डाल रहे है वो काटे वाला नही हो!! अपनी मनोकामना को सफेद कागज पे लाल कलम से लिख ले ताकी पुरे अनुष्ठान में आपकी मनोकामना मे परिवर्तन न हो !! नौ मंगलवार पुर्ण होने से अपनी ईच्छानुसार 3-5-7-9 सुहागन स्त्रियों को श्रृंगार भेट कर अपनी ईच्छानुसार भोजन या स्वल्पाहार प्रदान कर आशिर्वाद ग्रहण करे !!निंबु के जलने के बाद निम्बुओं कि भस्म को पानी मे विसर्जित करे !! यदि किसि कारन वश स्त्रियाँ प्रयोग नही कर पा रही हो तो प्रयोग अपने माता,बहन,मित्रो से पुर्ण करवा सकते है !! जरुरी नही की अनुष्ठान 9 मंगलवार मे पुर्ण हो !! किसि प्रकार से व्यवधान होने से अगले मंगलवार प्रयोग करे !! मेरे अनुभव के अनुसार कुछ भक्तो को ये विधि पुर्ण करने मे वर्ष तक का समय लगा है !! किन्तु प्रयोग तभी प्रारंभ करे जब आप उसे पुर्ण कर सके !! इस पुरे प्रयोग मे प्रथम मंगलवार से अंतिम मंगलवार तक जितनी भी अगरबत्ति जलाई जाये उसकी भस्म एकत्रित करे एव प्रयोग पुर्ण होने पर श्री महादेव महाकाल जी को सोमवार के दिन भस्म अर्पित करे !! यह विधि कीसि ग्रन्थ से शास्त्र से नही लि गई है ये विधियाँ मुझे उन शक्तियों से प्राप्त हुई है जिनकी मै उपस्ना करता हु !! किसि प्रकार की सहायता हेतु मुझ से संपर्क करे !! इस प्र्योग को भक्तो एवं साधको के कल्याणार्थ प्रस्तुत कर रहा हुँ आप अपने विवेक का सहारा ले यदि उचित लगे तो प्रारंभ करे !!

।। श्री गुरुचरणेभ्यो नमः।।
मच्छिन्द्र गोरक्ष गहिनी जालंदर कानिफा।
भर्तरी रेवण वटसिद्ध चरपटी नाथा ।।
वंदन नवनाथ को,सिद्ध करो मेरे लेखो को।
गुरु दो आशिष,हरे भक्तों के संकट को।।

(व्यक्तिगत अनुभूति एवं विचार )
"राहुलनाथ "
{आपका मित्र,सालाहकार एवम् ज्योतिष}
भिलाई,छत्तीसगढ़+917489716795,+919827374074(whatsapp)
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🚩🚩🚩जयश्री महाँकाल 🚩🚩🚩
इस लेख में लिखे गए सभी नियम,सूत्र,तथ्य हमारी निजी अनुभूतियो के स्तर पर है।विश्व में कही भी,किसी भी भाषा में ये सभी इस रूप में उपलब्ध नहीं है।अत:इस लेख में वर्णित सभी नियम ,सूत्र एवं व्याख्याए हमारी मौलिक संपत्ति है।हमारे लेखो को पढने के बाद पाठक उसे माने ,इसके लिए वे बाध्य नहीं है।इसकी किसी भी प्रकार से चोरी,कॉप़ी-पेस्टिंग आदि में शोध का अतिलंघन समझा जाएगा और उस पर (कॉपी राइट एक्ट 1957)के तहत दोषी पाये जाने की स्थिति में तिन वर्ष की सजा एवं ढ़ाई लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है।अतः आपसे निवेदन है पोस्ट पसंद आने से शेयर करे ना की पोस्ट की चोरी।

चेतावनी-हमारे हर लेख का उद्देश्य केवल प्रस्तुत विषय से संबंधित जानकारी प्रदान करना है लेख को पढ़कर कोई भी प्रयोग बिना मार्ग दर्शन के न करे ।क्योकि हमारा उद्देश्य केवल विषय से परिचित कराना है। किसी गंभीर रोग अथवा उसके निदान की दशा में अपने योग्य विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श ले। साधको को चेतावनी दी जाती है की वे बिना किसी योग्य व सफ़ल गुरु के निर्देशन के बिना साधनाए ना करे। अन्यथा प्राण हानि भी संभव है। यह केवल सुचना ही नहीं चेतावनी भी है।

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